
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट सबमिट में भारतीय संस्कृति का डंका बजाया है। उन्होंने दुनिया के नेताओं को विज्ञानं, तकनीक और शासन का उपयोग मानवता के विकास और शोषण के खात्मे के लिए करने का आह्वान किया। उन्होंने भारत के प्राचीन नीतिकार चाणक्य और गणित के जानकार आर्यभट्ट का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि भारत ने दुनिया को शून्य और दशमलव दिया है। प्राचीन भारत सिर्फ दर्शन का ही नहीं विज्ञानं का भी केंद्र था। उन्होंने कहा कि भारत उद्योगिक क्रांति का हिस्सा नहीं बन पाया था। लेकिन तकनीकी क्रांति के केंद्र में भारत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि कैसे उनकी सरकार तकनीक का उपयोग शासन को बेहतर बनाने में कर रही है। आधार को चार सौ सरकारी योजनाओं से जोड़ कर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी को रोका गया है। भारतीय दर्शन में सूर्य को विश्व की आत्मा बताया गया है। भारत सौर ऊर्जा के उत्पादन और भंडारण की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसरो ने एक सौ उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ने का आंकड़ा पूरा कर लिया है। उन्होंने बताया कि हमारा मंगल अभियान हॉलीवुड की एक फिल्म की औसत लागत से कम में पूरा किया गया है। इस पर सात रुपए प्रति किलोमीटर खर्च आया है जोकि टैक्सी के किराये से भी कम है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के सबका साथ सबका विकास के नारे का भी उल्लेख किया। यह नारा सिर्फ देश के लोगों के लिए ही नहीं विश्व समुदाय के लिए भी है। भारत ने साऊथ एशिया उपग्रह को लांच किया है जिसका लाभ सार्क के देश बिना किसी खर्च के उठा पाएंगे। भारत अफ्रीका के अनेक देशों को तकनीक के माध्यम से शिक्षा दे रहा है। उन्होंने दुनिया को तकनीक के दुरपयोग के प्रति भी सचेत किया। सबमिट में दुनिया के एक सौ चालीस देशों के प्रतिनिधि शामिल थे। डावोस के बाद दुबई में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थिति मोदी ही नहीं भारत के लिए भी गौरव का विषय है।
अमित यायावर
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